भारतवर्ष, अनेक महापुरुषों की जन्मस्थली और कर्मस्थली है। भारत एक ऐसी पावन भूमि है जहाँ अनेकानेक महापुरुषों ने जन्म लिया और अपनी प्रतिभा और महान विचारों से ना सिर्फ भारत बल्कि समूची दुनिया को अचंभित कर दिया। ऐसे ही महान विभूतियों में एक नाम आता है स्वामी विवेकानंद, जिनका जन्म आज से एक सौ आट्ठावन साल पहले कोलकाता में हुआ था। उनका वास्तविक नाम नरेंद्र नाथ दत्त था। 25 वर्ष की आयु में, नरेंद्र नाथ दत्त ने गेरुआ वस्त्र धारण कर लिया। तत्पश्चात उन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की। सन अठारह सौ तिरानवे में शिगाको में विश्वधर्म परिषद की सभा हो रही थी। स्वामी विवेकानंद जी उसमे भारत की प्रथिनिधि के रुप में पहुंचे। उनके विचार सुनकर सभी विद्वान चकित रह गए। फिर तो उनका अमेरिका में भव्य स्वागत हुआ। वहाँ उनके भक्तों का एक बड़ा समुदाए बन गया। तीन वर्ष तक वे अमेरिका में रहे और वहाँ के लोगों को भारतीय तत्वज्ञान की अद्भुत ज्योति प्रदान करते रहे। अमेरिका में उन्होंने राम कृष्ण मिशन की अनेक शाखाएं स्थापीत की। अनेक अमेरिकन विद्वानों ने उनका शिष्यत्व ग्रहण किया। इसके बाद उन्होंने अपना समुचा जीवन धर्म के विकास और युवाओं को सही दिशा दिखने में समर्पित कर दिया। 4 जुलाई सन उन्नीसौ दो को, उन्होंने देह को त्याग दिया। वे सदेव स्वयं को गरीबों का सेवक कहते थे। भारत के गौरव को देश के क्षात्रों में उज्ज्वल करने का उन्होंने सदेव प्रयत्न किया। स्वामी विवेकनंद आजीवन एक सन्यासी के रूप में रहे और देश समाज की भलाई के लिए काम करते रहे। अपने ज्ञान के बल पर स्वामी विवेकानंद विश्व विजेता बने। वे हिंदुस्तान के एक ऐसे सन्यासी रहे जिनके संदेश आज भी लोगों को उनका अनुसरण करने पर विवष कर देते हैं। गौर तलभ है की 12 जनवरी का दिन स्वामी विवेकानंद को समर्पित है और इसे युवा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। सच तो यह है कि युवा ही देश को आगे लेकर जा सकते है। भारतवर्ष को भली-भांति समझने के लिए विवेकानंद ने देश के कईं भागों का भ्रमण करते हुए कन्या कुमारी का रोह किया था। यही वजह है कि यहाँ विवेकानंद स्मारक शीला देखि जा सकती है। यहाँ आकार आप उस महान आत्मा को सहज ही महसूस कर सकते हैं। वैसे तो विवेकानंद जी ने इस समूचे देश का भ्रमण किया था किन्तु उनमें इस स्थान का विशेष महत्व है। यहाँ आने पर हमे भारत के महान संत महापुरुष स्वामी विवेकानंद जी के जीवन के बारे में जानने का सुनहेरा अवसर मिलता है। स्वामी विवेकानंद जी को शत-शत नमन।
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