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सकारात्मक सोच सफलता की कुंजी | By VIVEK



सपनों को सच होते देखना कौन नहीं चाहता सफल और असफल होना मनुष्य की क्षमता और उसके द्वारा किए गए प्रयासों पर निर्भर है। सफल और असफल मनुष्य की संरचना या बनावट में अन्तर नही होता। अन्तर होता है तो उसकी आदतों में, जैसी मनुष्य की आदतें होंगी वैसा ही वह बन जाएगा।


असफल व्यक्ति इतना ज्यादा हताश और निराश हो जाता है कि उसकी सोच भी नकारात्मक हो जाती है। यह किसी भी कार्य को करने से पूर्व उसमें मीनमेख निकालने लगता है। अपनी असफलताओं से वह तनाव, आत्मग्लानि तथा अवसाद में गलत कदम भी उठा लेता है। आत्महत्या तक कर बैठता है। अपने जीवन से हारना कायरता है क्योंकि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है।


जिन्दगी भी अपनी मुट्ठी में असीम संभावनाएं संजोए होती है। किस्मत जब एक द्वार बन्द कर देती है तो अनेक द्वार खोल देती है। ऐसे में आवश्यकता है आशावादी दृष्टिकोण व सकारात्मक सोच की। जिसमें मनुष्य अवसर मिलते है, है और आत्मविश्वास व उत्साह उसकी अपनी जिन्दगी का आगे बढ़ती है। आशावादी मन मानव जीवन का संचार सूत्र है आशा के सहारे मनुष्य बड़े से बड़े कार्य निडरता से कर दिखाता है। यही आशावादी सोच मनुष्य को कर्म करने की प्रेरणा देती है। आशावादी व्यक्ति अकर्मण्य नहीं हो सकता। वह सदा कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी प्रयत्नशील रहता है। प्रशिक्षण परिवर्तन होने वाले इस संसार में कभी सुख, कभी दुख, कभी हार, कभी जीत, कभी उत्कर्ष तो कभी अपकर्ष जैसी विरोधी प्रवृत्तियाँ क्रमशः आती रहती है बुद्धिमान वही है जो इन विपरीत परिस्थितियों को चुनौती समझकर इनका सामना करें। आशा है, विश्वास है तो आत्म विश्वास है, आत्म विश्वास है तो सकारात्मक सोच है। हमेशा आशावादी और सकारात्मक भाव मनुष्य को जीना सिखाता है और उसका हर कठिनत्तम कार्य भी सरलता से पूर्ण हो जाता है।


मनुष्य का व्यक्तित्व मुख्यतः उसकी अपनी आदतों से मिलकर बना है। हम जो है, अपनी आदतों से ही है। आवश्यकता इस बात की है कि इस भौतिक युग में मानव का प्रगतिशील बनना, व्यावसायिक ऊँचाइयों को छने के लिए आवश्यक है कुछ तथ्यों पर ध्यान देने की, जिन्हे अपनी आदतों में शामिल करना होगा जैसे-


1. नित्य अध्ययन करना और समय नियोजन

2. दूसरों की बातें ध्यान से सुनना


ये आदतें मनुष्य में आत्मविश्वास जगाने है और वह उत्साहित हो आशावादी दृष्टिकोण अपनाता है। वह अपने भीतर सृजनात्मक ऊर्जा का अनुभव करता है। समय को अपने अनुकूल बना लेता है। क्योंकि सत्य ही है ::


“सपने वो सच नहीं होते जो सोते वक्त देखे जाते है,

सपने वे सच होते है जिन के लिए सोना छोड़ देते है”


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